N Sriram Balaji Biography: Indian Tennis Player

एन श्रीराम बालाजी की जीवनी

18 मार्च 1990 को कोयंबटूर, तमिलनाडु में जन्मे एन. श्रीराम बालाजी ने महज नौ साल की उम्र में टेनिस खेलना शुरू कर दिया था। उनके माता-पिता, नारायणस्वामी और जयंती नारायणस्वामी, ने उनके टेनिस के प्रति बढ़ते जुनून को हमेशा समर्थन दिया। उन्होंने केंद्रीय विद्यालय और पर्क्स मैट्रिकुलेशन हायर सेकेंडरी स्कूल से शिक्षा प्राप्त की और पर्क्स टेनिस अकादमी में प्रारंभिक प्रशिक्षण लिया।

उनकी प्रतिभा पहली बार तब सामने आई जब उन्होंने 2002 में Nike International Masters Tennis Tournament (साउथ अफ्रीका) में भारत का प्रतिनिधित्व किया और टीम इवेंट में नौवां स्थान प्राप्त किया। यह उनके करियर का पहला बड़ा अनुभव था, जिसने उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।

खेल में उभरता सितारा

श्रीराम बालाजी ने अपने खेल को और निखारने के लिए 2010 में जर्मनी के Schüttler-Waske Tennis University में प्रशिक्षण लिया। यही से उनका अंतरराष्ट्रीय सफर शुरू हुआ।

2017 में, उन्होंने प्रतिष्ठित डेविस कप में रोहन बोपन्ना के साथ अपनी शुरुआत की और भारत को 3-0 से शानदार जीत दिलाई। इस सफलता ने उन्हें टेनिस की दुनिया में एक नई पहचान दी और वह आगे चलकर कई महत्वपूर्ण टूर्नामेंट्स में खेले।

मुख्य उपलब्धियाँ

श्रीराम बालाजी के करियर में कई बड़ी उपलब्धियाँ दर्ज हैं:

✅ 9 आईटीएफ सिंगल्स खिताब
✅ 43 आईटीएफ फ्यूचर्स डबल्स खिताब
✅ 6 चैलेंजर डबल्स खिताब
✅ 2024 में एटीपी डबल्स रैंकिंग में वर्ल्ड नंबर 61 तक पहुँचना
✅ 2018 में विंबलडन में क्वालिफाई करने वाले भारतीय सेना के पहले खिलाड़ी बनना

उनका विंबलडन तक का सफर खास था क्योंकि यह किसी भी भारतीय सेना से जुड़े खिलाड़ी के लिए पहली बार हुआ था।

व्यक्तिगत जीवन और प्रेरणा

श्रीराम बालाजी भारतीय सेना में जूनियर कमीशंड ऑफिसर (JCO) के रूप में भी कार्यरत हैं। उनकी अनुशासनप्रियता और समर्पण का श्रेय उनकी सेना की ट्रेनिंग को जाता है।

टेनिस के अलावा, उन्हें तैराकी और किताबें पढ़ने का शौक है। वह हमेशा टेनिस दिग्गज रोजर फेडरर से प्रेरित रहे हैं और उनकी खेलने की शैली को अपनाने की कोशिश करते हैं।

विरासत और प्रभाव

श्रीराम बालाजी की यात्रा संघर्ष, मेहनत और दृढ़ निश्चय का प्रतीक है। उन्होंने न सिर्फ भारत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गौरवान्वित किया है, बल्कि युवा टेनिस खिलाड़ियों को भी प्रेरित किया है। उनकी कहानी उन सभी के लिए एक मिसाल है, जो अपने सपनों को साकार करना चाहते हैं।

आज भी वह भारतीय टेनिस को नई ऊँचाइयों तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और अपने खेल से नई पीढ़ी को प्रेरित कर रहे हैं।

श्रीराम बालाजी का सफर यह दिखाता है कि यदि समर्पण और मेहनत हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।

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