Rajesh Oza Biography

Rajesh Oza Biography founder of Trival Veda

राजेश ओजा का जन्म राजस्थान के पाली जिले के एक छोटे से गाँव बेड़ा में हुआ। उनका बचपन आदिवासी समुदायों के बीच बीता, जहां उन्होंने देखा कि ये लोग जंगलों से आंवला, सीताफल और जामुन जैसे फल इकट्ठा कर बाजार में बेचते थे। लेकिन खराब होने की समस्या के कारण इन्हें बिचौलियों को कम कीमत पर बेचना पड़ता था। इस अन्याय को देखकर उनके मन में आदिवासियों की आर्थिक स्थिति सुधारने की इच्छा जागी।

परिवार की आर्थिक स्थिति सामान्य थी, जिससे वे उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं कर सके और 12वीं के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी। लेकिन जीवन के कठिन अनुभवों ने उन्हें व्यावहारिक ज्ञान दिया, जो आगे चलकर उनके सफल उद्यम का आधार बना।

मुंबई में संघर्ष और गाँव वापसी का निर्णय

बेहतर जीवन की तलाश में, राजेश मुंबई चले गए, जहाँ उन्होंने लगभग 14 साल तक विभिन्न नौकरियां कीं। उन्होंने मॉल में सामान बेचा, गहनों की दुकानों में काम किया, लेकिन बिना ऊँची शिक्षा के उन्हें स्थायी सफलता नहीं मिली।

2016 में, उन्होंने अपने गाँव लौटने का बड़ा निर्णय लिया। यहाँ आते ही उन्होंने देखा कि आदिवासी महिलाएँ जामुन जैसे मौसमी फलों को बहुत कम कीमत पर बेचने को मजबूर थीं। इसी ने उनके मन में एक नया विचार जन्म दिया—इन फलों को सही मूल्य दिलाकर आदिवासी परिवारों को आत्मनिर्भर बनाना।

व्यवसाय की शुरुआत और चुनौतियाँ

2017 में, राजेश ने अपनी पत्नी पूजा ओजा के साथ मिलकर Jovaki Agro Foods India Private Limited की स्थापना की। मात्र 1000 रुपये की पूंजी से शुरू हुआ यह सफर आसान नहीं था। उन्हें न केवल वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, बल्कि आदिवासी समुदायों का विश्वास जीतना भी एक चुनौती थी।

उन्होंने स्थानीय कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों से सलाह ली और सीखा कि जामुन से कैसे विभिन्न मूल्य-वर्धित उत्पाद बनाए जा सकते हैं। उन्होंने एक साल तक रिसर्च और प्रशिक्षण किया और धीरे-धीरे एक मजबूत बिजनेस मॉडल तैयार किया।

Tribalveda ब्रांड की स्थापना

Trival Veda Business bio profile

2021 में, राजेश ने Tribalveda नामक ब्रांड लॉन्च किया, जो विशेष रूप से जामुन-आधारित उत्पादों पर केंद्रित था। इस ब्रांड के तहत, उन्होंने जामुन सिरका, जामुन टी, जामुन सीड पाउडर, जामुन नीम करेला जैसे 100% प्राकृतिक और स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद बनाए, जिनकी शेल्फ लाइफ 12 महीने तक बढ़ा दी गई।

शुरुआत में उन्हें ग्राहकों तक पहुँचने में कठिनाई हुई, लेकिन उन्होंने ऑनलाइन मार्केटिंग, प्रदर्शनियों और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म का सहारा लिया। आज, Tribalveda प्रतिदिन 200+ ऑर्डर पूरे कर रहा है और देशभर में लोकप्रिय हो रहा है।

आदिवासी समुदायों के लिए सामाजिक प्रभाव

Jovaki Agro Foods न केवल एक व्यावसायिक सफलता है, बल्कि यह एक सामाजिक क्रांति भी है। इस पहल से अब तक 1800 से अधिक आदिवासी महिलाओं को रोजगार मिला है। ये महिलाएँ फलों को इकट्ठा करने, छाँटने, प्रसंस्करण करने और पैकिंग करने का काम करती हैं, जिससे वे सालभर एक स्थिर आय अर्जित कर पाती हैं।

इस मॉडल से आदिवासियों को सिर्फ रोजगार ही नहीं, बल्कि उनकी पारंपरिक कृषि और ज्ञान प्रणाली को भी महत्व मिला है। अब वे अपने फलों को औने-पौने दाम पर बेचने की बजाय, उनके मूल्य-वर्धित उत्पाद बनाकर उचित कीमत कमा रहे हैं।

भविष्य की योजनाएँ और दृष्टिकोण

राजेश का लक्ष्य अपने मॉडल को भारत के अन्य आदिवासी क्षेत्रों में भी लागू करना है। उनकी योजना Jovaki Agro Foods का विस्तार करते हुए और अधिक पारंपरिक फलों और जड़ी-बूटियों को बाज़ार में लाने की है।

आज उनकी कंपनी का मूल्यांकन 20 करोड़ रुपये तक पहुँच चुका है, और भविष्य में इसे 10 गुना बढ़ाने का लक्ष्य है। वे चाहते हैं कि आदिवासी समुदाय आत्मनिर्भर बने और उनकी पारंपरिक संपदा को वैश्विक पहचान मिले।

निष्कर्ष

राजेश ओजा की कहानी बताती है कि शिक्षा की कमी सफलता की बाधा नहीं होती, अगर व्यक्ति के पास सच्ची लगन और उद्देश्य हो। उन्होंने अपने संघर्षों से सीखकर एक ऐसा व्यवसाय खड़ा किया, जो न केवल मुनाफा कमा रहा है, बल्कि हजारों लोगों के जीवन को भी संवार रहा है।

उनका सफर भारत के उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो छोटे गाँवों से बड़े सपने देखते हैं। उनके प्रयास से यह सिद्ध होता है कि सही सोच और मेहनत से कोई भी समाज में बदलाव ला सकता है और व्यापार को एक सामाजिक उद्देश्य से जोड़ सकता है।

“सिर्फ मुनाफा कमाने का नहीं, समाज को आगे बढ़ाने का सपना देखो, सफलता खुद तुम्हारे पीछे आएगी।” – राजेश ओजा

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