18 मार्च 1965 को अहमदाबाद, गुजरात में जन्मी अलीशा चिनॉय का वास्तविक नाम सुजाता चिनॉय है। संगीत के प्रति उनका रुझान बचपन से ही था, जिसने उन्हें भारतीय पॉप संगीत की दिशा में अग्रसर किया। अपनी अनूठी आवाज़ और शैली के कारण, उन्होंने जल्दी ही संगीत जगत में पहचान बना ली।
करियर की शुरुआत
अलीशा ने 1985 में अपने पहले एल्बम ‘जादू’ से संगीत करियर की शुरुआत की। इसके बाद ‘बेबीडॉल’, ‘आह… अलीशा!’, ‘मैडोना’, ‘कामसूत्र’ जैसे एल्बम्स ने उन्हें पॉप संगीत की दुनिया में स्थापित किया। उनकी सबसे बड़ी सफलता 1995 में आई, जब ‘मेड इन इंडिया’ एल्बम ने भारतीय पॉप संगीत को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया।
प्रमुख उपलब्धियाँ
‘मेड इन इंडिया’ (1995): यह एल्बम भारतीय पॉप संगीत का प्रतीक बन गया और आज भी इसकी धुनें लोकप्रिय हैं।
प्लेबैक सिंगिंग: अलीशा ने बॉलीवुड की कई प्रमुख फिल्मों में प्लेबैक सिंगिंग की है, जिसमें ‘काटे नहीं कटते’ (मिस्टर इंडिया), ‘रात भर जाम से’ (त्रिदेव) जैसे गीत शामिल हैं।
संगीत निर्देशकों के साथ सहयोग: बप्पी लाहिड़ी, अनु मलिक, आनंद-मिलिंद जैसे प्रमुख संगीत निर्देशकों के साथ उनके सहयोग ने कई हिट गाने दिए हैं।
व्यक्तिगत जीवन
अलीशा का व्यक्तिगत जीवन हमेशा सुर्खियों में रहा है। उन्होंने 2003 में संगीत निर्देशक अनु मलिक पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया, जो बाद में सुलझा लिया गया। इसके बाद, उन्होंने संगीत से कुछ समय के लिए दूरी बना ली, लेकिन 2005 में ‘बंटी और बबली’ फिल्म के ‘कजरारे’ गीत से जोरदार वापसी की।
विरासत
अलीशा चिनॉय ने भारतीय पॉप संगीत को एक नई दिशा दी है। उनकी अनूठी आवाज़, शैली और साहसिकता ने कई युवा गायिकाओं को प्रेरित किया है। आज भी, उनके गाने युवाओं के बीच लोकप्रिय हैं और उनकी विरासत संगीत प्रेमियों के दिलों में जीवित है।
सीख: अलीशा चिनॉय की कहानी हमें सिखाती है कि संगीत की कोई सीमा नहीं होती, और जुनून के साथ कुछ भी हासिल किया जा सकता है।
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