Jisshu Sengupta Biography: The Star of Bengali Cinema and His True Story

जिशु सेनगुप्ता

जिशु सेनगुप्ता, जिन्हें जिशु के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय सिनेमा में एक उल्लेखनीय अभिनेता, निर्माता, और टेलीविजन प्रस्तोता हैं, जो मुख्य रूप से बंगाली, हिंदी, और तेलुगु फिल्मों में काम करते हैं, साथ ही कुछ कन्नड़ फिल्मों में भी। उनका जन्म 15 मार्च 1977 को कोलकाता, पश्चिम बंगाल में हुआ था, और उनका असली नाम बिस्वरूप सेनगुप्ता है। वे एक अभिनय परिवार से ताल्लुक रखते हैं, जहां उनके पिता, उज्ज्वल सेनगुप्ता, बंगाली सिनेमा में एक अभिनेता थे, और उनकी माता, मुक्ता सेनगुप्ता, एक गृहिणी और वेडिंग प्लानर थीं। उनके एक बड़ी बहन, सतारूपा (राय) सेनगुप्ता, हैं, जो पहले अनिंद्य बोस, बंगाली बैंड सहार के लीड सिंगर, से शादीशुदा थीं।

Important Facts

  • जिशु सेनगुप्ता का जन्म 15 मार्च 1977 को कोलकाता, पश्चिम बंगाल में हुआ था।
  • वे बंगाली और हिंदी सिनेमा में जाने-माने अभिनेता हैं, जिनकी फिल्में जैसे “डिटेक्टिव ब्योमकेश बक्शी!” (2015) और “बेगम जान” (2017) बहुत प्रसिद्ध हैं।
  • उनका करियर टीवी से शुरू हुआ, “महाप्रभु” (1998) में चैतन्य महाप्रभु की भूमिका से, और फिर फिल्मों में “प्रियोजन” (1999) से डेब्यू किया।
  • वे बहुमुखी भूमिकाओं के लिए जाने जाते हैं और कई पुरस्कारों के लिए नामांकित हुए, जैसे फिल्मफेयर अवॉर्ड्स ईस्ट।
  • अप्रत्याशित रूप से, वे क्रिकेट में भी रुचि रखते थे और बंगाल की सब-जूनियर टीम में खेले थे।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

जिशु का बचपन क्रिकेट से गहरा जुड़ा था। वे बंगाल की सब-जूनियर क्रिकेट टीम में खेले और इस खेल में काफी रुचि रखते थे। हालांकि, उनका रुझान धीरे-धीरे अभिनय की ओर बढ़ा। उन्होंने जूलियन डे स्कूल से पढ़ाई की और फिर हेराम्बा चंद्र कॉलेज से अर्थशास्त्र में डिग्री हासिल की। इसके बाद, वे एक विज्ञापन एजेंसी में काम करने लगे, लेकिन जल्दी ही उन्होंने अभिनय को अपना करियर चुना।

करियर की शुरुआत और टीवी डेब्यू

जिशु का करियर 1998 में बंगाली टेलीविजन सीरियल “महाप्रभु” से शुरू हुआ, जहां उन्होंने चैतन्य महाप्रभु की भूमिका निभाई। यह भूमिका उन्हें रातोंरात स्टार बना दिया और उन्हें व्यापक पहचान दिलाई। इस सीरियल ने उनकी अभिनय क्षमता को उजागर किया और उन्हें फिल्म उद्योग में प्रवेश का मौका दिया।

फिल्मी सफर और शुरुआती चुनौतियां

1999 में, जिशु ने अपनी पहली फिल्म “प्रियोजन” से सिल्वर स्क्रीन पर डेब्यू किया, जो निर्देशक दिनेन सेनगुप्ता द्वारा बनाई गई थी। दुर्भाग्यवश, यह फिल्म आलोचनात्मक और वाणिज्यिक रूप से असफल रही, जिसने उनके करियर को शुरुआत में चुनौती दी। इसके बाद, 2002 में, उन्होंने सुकांत रॉय की महत्वाकांक्षी फिल्म “चेलेबेला” में रवींद्रनाथ टैगोर की भूमिका निभाई, जिसमें देबश्री रॉय ने कदंबरी देवी की भूमिका निभाई थी। हालांकि, इस फिल्म के बाद भी, वे कई आलोचनात्मक और वाणिज्यिक रूप से असफल परियोजनाओं में मुख्य भूमिका में दिखाई दिए, जैसे “अभिमन्यु”, “कुरुक्षेत्र”, “महागुरु”, “संग्राम”, “सजनी”, “गुरु”, “जन्मदाता”, “चोर चोर मस्तुतो भाई”, और “प्रेमी”।

बॉलीवुड डेब्यू और सफलता

2004 में, जिशु ने श्याम बेनेगल की नेशनल अवॉर्ड विनिंग फिल्म “नेताजी सुभाष चंद्र बोस: द फॉरगॉटेन हीरो” से बॉलीवुड में डेब्यू किया, जो उनके करियर में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। इसके बाद, 2008 में, उन्होंने रोमांटिक-कॉमेडी “लव” और “बोर अस्बे एकहुनी” में काम किया, जो उनकी बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाता है।

एक महत्वपूर्ण मोड़ उनके करियर में तब आया जब उन्होंने रितुपर्णो घोष के साथ काम करना शुरू किया। उनकी फिल्में जैसे “अभोमान” (2009), “शोभ चरित्र कल्पनिक” (2009), और “नौकाडूबी” (2011) ने उन्हें आलोचनात्मक प्रशंसा और वाणिज्यिक सफलता दिलाई। इन परियोजनाओं ने उनकी अभिनय क्षमता को और उजागर किया और उन्हें बंगाली सिनेमा में एक स्थापित नाम बना दिया।

उल्लेखनीय फिल्में और भूमिकाएं

जिशु की कुछ उल्लेखनीय फिल्में हैं:

  • डिटेक्टिव ब्योमकेश बक्शी!” (2015) – जिसमें उन्होंने ब्योमकेश बक्शी की भूमिका निभाई, जो दर्शकों और आलोचकों द्वारा खूब सराही गई।
  • बेगम जान” (2017) – एक पीरियड ड्रामा, जिसमें उन्होंने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • सीता रामम” (2022) – एक तेलुगु फिल्म, जो उनकी भाषा-सीमा को पार करने की क्षमता को दर्शाती है।
  • अन्य फिल्में जैसे “पिकू” (2015), “मर्दानी” (2014), “बारफी!” (2012), और “राजकहिनी” (2015) में भी उनके प्रदर्शन को सराहा गया।

वे नकारात्मक भूमिकाओं से भी नहीं हिचकिचाते, जैसे “जुल्फिकार” (2016) और “राजकहिनी” में, जो उनकी बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाता है।

व्यक्तिगत जीवन और परिवार

जिशु ने 2004 में निलांजना शर्मा से शादी की, जो अभिनेत्री अंजना भौमिक और निर्देशक अनिल शर्मा की बेटी हैं। उनके दो बेटियां हैं, सारा और जारा, जो उनकी जीवन में महत्वपूर्ण हैं। सारा ने भी फिल्म “उमा” (2023) में डेब्यू किया, जो उनके परिवार की फिल्मी विरासत को दर्शाता है।

चुनौतियां और संघर्ष

जिशु के करियर में कई चुनौतियां आईं, विशेष रूप से शुरुआती दौर में, जब उन्हें “अनलकी एक्टर” कहा गया। उन्होंने कई असफल परियोजनाओं का सामना किया, और उद्योग में पक्षपात और समूहवाद की समस्याओं का जिक्र किया है। एक साक्षात्कार में, उन्होंने कहा कि लंबे समय तक उन्हें लगता था कि उनकी मेहनत को सही पहचान नहीं मिल रही, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और विविध भूमिकाओं के माध्यम से अपनी जगह बनाई।

पुरस्कार और मान्यता

जिशु की प्रतिभा को कई पुरस्कारों और नामांकनों से सम्मानित किया गया है:

वर्षपुरस्कारफिल्म/कार्यश्रेणी
2004कालाकर अवॉर्ड्सअबर आरन्येबेस्ट एक्टर
2016फिल्मफेयर अवॉर्ड्स ईस्टब्योमकेश ओ चिरियाखानाबेस्ट एक्टर (नामांकन)
2017फिल्मफेयर अवॉर्ड्स ईस्टजुल्फिकारबेस्ट सपोर्टिंग एक्टर (नामांकन)
2017स्टार जलशा अवॉर्ड्सबेस्ट नकारात्मक भूमिका

बेस्ट नकारात्मक (Negative Role) भूमिका
इनके अलावा, वे विभिन्न रियलिटी शो और अवॉर्ड समारोहों में एंकरिंग भी करते हैं, जो उनकी बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाता है।

वर्तमान स्थिति और भविष्य

वर्तमान में, 15 मार्च 2025 को, जिशु 48 वर्ष के हैं और अभी भी सक्रिय हैं। उनकी हाल की परियोजनाओं में तेलुगु और हिंदी फिल्में शामिल हैं, और वे अपने प्रोडक्शन वेंचर्स में भी हाथ आजमा रहे हैं। उनकी नेट वर्थ और प्रसिद्धि दोनों ही बढ़ रही हैं, और वे बंगाली सिनेमा में एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व बने हुए हैं।

निष्कर्ष

जिशु सेनगुप्ता की कहानी एक ऐसे अभिनेता की है, जिसने क्रिकेट से सिनेमा तक का सफर तय किया और अपनी मेहनत और प्रतिभा से उद्योग में अपनी पहचान बनाई। उनकी बहुमुखी भूमिकाएं और चुनौतियों का सामना करने की क्षमता उन्हें एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व बनाती है।

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