मेजर संदीप उन्नीकृष्णन का जीवन और बलिदान भारतीय सैन्य इतिहास में एक प्रेरणादायक अध्याय है। उनकी वीरता और समर्पण ने उन्हें राष्ट्रीय नायक के रूप में स्थापित किया। नीचे दी गई जानकारी उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से प्रस्तुत करती है, जिसमें उनकी प्रारंभिक जीवन, सैन्य करियर, 2008 मुंबई हमलों में उनकी भूमिका, पुरस्कार, और व्यक्तिगत जीवन शामिल हैं।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
मेजर संदीप उन्नीकृष्णन का जन्म 15 मार्च 1977 को कोझिकोड, केरल में हुआ था। उनकी परिवार की पृष्ठभूमि नायर समुदाय से थी, और वे बाद में बेंगलुरु में बस गए। वे अपने माता-पिता, के. उन्नीकृष्णन (सेवानिवृत्त इसरो अधिकारी) और धनलक्ष्मी उन्नीकृष्णन की एकमात्र संतान थे। बचपन से ही संदीप को सशस्त्र बलों में सेवा करने का जुनून था।
उन्होंने बेंगलुरु के फ्रैंक एंथोनी पब्लिक स्कूल से शिक्षा प्राप्त की, जहां वे 14 वर्ष तक रहे और 1995 में आईएससी साइंस स्ट्रीम में स्नातक हुए। स्कूल में वे खेलकूद, गायन, और सांस्कृतिक गतिविधियों में सक्रिय थे, और उन्हें फिल्में देखना भी पसंद था।
सैन्य करियर: एक विस्तृत दृष्टिकोण
संदीप ने 1995 में पुणे के नेशनल डिफेंस अकादमी (NDA) में प्रवेश लिया, जहां वे ऑस्कर स्क्वाड्रन (नंबर 4 बटालियन) के 94वें कोर्स का हिस्सा थे। उनके NDA के दोस्त उन्हें “निस्वार्थ,” “उदार,” और “शांत और संयमित” के रूप में याद करते हैं। इसके बाद, उन्होंने देहरादून के इंडियन मिलिटरी अकादमी (IMA) से 104वें नियमित कोर्स में भाग लिया और 12 जून 1999 को बिहार रेजिमेंट की 7वीं बटालियन में लेफ्टिनेंट के रूप में कमीशन प्राप्त किया।
उनकी सैन्य सेवा में कई महत्वपूर्ण ऑपरेशंस शामिल थे, जैसे:
- ऑपरेशन विजय (1999): कारगिल युद्ध के दौरान, उन्होंने दुश्मन की भारी तोपखाने और छोटे हथियारों की आग के सामने साहस दिखाया। 31 दिसंबर 1999 को, उन्होंने छह सैनिकों की एक टीम का नेतृत्व करते हुए दुश्मन से 200 मीटर की दूरी पर एक चौकी स्थापित की।
- ऑपरेशन पराक्रम, रक्षक, और काउंटर-इनसर्जेंसी ऑपरेशंस: जम्मू-कश्मीर और राजस्थान में तैनाती के दौरान।
- उन्हें 12 जून 2003 को कप्तान और 13 जून 2005 को मेजर के रूप में पदोन्नत किया गया। उनकी सेवा संख्या IC-58660 थी, और वे 1999 से 2008 तक 9 वर्षों तक सेवा में रहे।
- जनवरी 2007 में, वे नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स (NSG) में शामिल हुए और 51 विशेष कार्रवाई समूह (51 SAG) में तैनात किए गए। उनकी ट्रेनिंग में हाई एल्टीट्यूड वॉरफेयर स्कूल, गुलमर्ग और बेलगाम के कमांडो स्कूल में भाग लेना शामिल था, जहां उन्होंने घातक कोर्स में दो बार टॉप किया और “इंस्ट्रक्टर” ग्रेडिंग हासिल की।
2008 मुंबई हमले: वीरता का चरम
26 नवंबर 2008 को मुंबई पर आतंकवादी हमले हुए, और ताज महल पैलेस होटल एक प्रमुख लक्ष्य था। मेजर उन्नीकृष्णन ने 51 SAG की एक टीम का नेतृत्व करते हुए बंधकों को बचाने का अभियान चलाया। उन्होंने 15 घंटे तक चले ऑपरेशन में छठी और पांचवीं मंजिल से 14 बंधकों को सुरक्षित निकाला।
चौथी मंजिल पर आतंकवादियों का सामना करते समय, उनकी टीम पर गोलीबारी हुई, जिसमें कमांडो सुनील कुमार यादव दोनों पैरों में घायल हो गए। मेजर उन्नीकृष्णन ने यादव को बचाया और ऑपरेशन जारी रखा, भले ही उनकी दाहिनी भुजा में गोली लगी थी। अंततः, उन्होंने चार आतंकवादियों को घेर लिया, लेकिन कार्रवाई के दौरान 28 नवंबर 2008 को शहीद हो गए। उनकी आखिरी बात थी, “ऊपर मत आओ, मैं संभाल लूंगा।”
उनकी मृत्यु की परिस्थितियों के बारे में, उनके शरीर को अगले दिन एक तालाब में खून में पाया गया, जिसमें कई गोली के घाव थे।
पुरस्कार और मान्यता
मेजर उन्नीकृष्णन की वीरता के लिए उन्हें मरणोपरांत अशोक चक्र, भारत का सर्वोच्च शांतिकालीन वीरता पुरस्कार, 26 जनवरी 2009 को प्रदान किया गया। उनकी स्मृति में कई स्मारक और सम्मान स्थापित किए गए:
बेंगलुरु में 4.5 किलोमीटर लंबी सड़क का नाम मेजर संदीप उन्नीकृष्णन रोड रखा गया (पहले मदर डेयरी डबल रोड के नाम से जाना जाता था)।
बेंगलुरु में राममूर्ति नगर और मुंबई में जोगेश्वरी-विक्रोली लिंक रोड पर उनकी मूर्तियां स्थापित की गईं। बेंगलुरु की एक मूर्ति सितंबर 2018 में क्षतिग्रस्त हो गई थी।
व्हाइटफील्ड, बेंगलुरु में सैंडीप विहार आर्मी हाउसिंग कॉम्प्लेक्स में भी उनकी मूर्ति है।
2022 में उनकी जीवन पर आधारित फिल्म “मेजर” रिलीज हुई, जिसमें अदिवी सेश ने उनकी भूमिका निभाई। इस फिल्म का बजट 32 करोड़ रुपये था, और इसे 120 दिनों में 75 से अधिक स्थानों पर शूट किया गया। फिल्म का प्रीमियर 24 मई 2022 को सीमित शहरों में हुआ और 3 जून 2022 को विश्व स्तर पर रिलीज हुई।
व्यक्तिगत जीवन: परिवार और संबंध
मेजर संदीप उन्नीकृष्णन ने नेहा उन्नीकृष्णन से विवाह किया था, और उनके कोई बच्चे नहीं थे। उनकी शादी के बारे में जानकारी सीमित है, लेकिन यह स्पष्ट है कि उनका संबंध गहरा और सम्मानपूर्ण था। उनकी मृत्यु के बाद, उनके परिवार, विशेष रूप से उनके माता-पिता, ने कई फिल्म निर्माताओं से संपर्क किया, लेकिन initially वे उनकी कहानी को फिल्म में दिखाने के लिए तैयार नहीं थे।
उनकी मृत्यु के बाद, उनके अंतिम संस्कार में पूर्ण सैन्य सम्मान के साथ बेंगलुरु में 29 नवंबर 2008 को संपन्न हुआ, जहां हजारों लोगों ने श्रद्धांजलि दी। उनके चाचा के. मोहनन ने फरवरी 2011 में आत्महत्या कर ली, जिसमें उन्होंने एक नोट छोड़ा कि संदीप को भुला दिया गया है, जो उनके परिवार पर पड़े भावनात्मक प्रभाव को दर्शाता है।
अतिरिक्त जानकारी और विरासत
उनकी कहानी ने कई फिल्मों को प्रेरित किया, जैसे 2013 में रिलीज हुई “द अटैक्स ऑफ 26/11” और 2018 में ZEE5 पर “ऑपरेशन ब्लैक टॉर्नेडो”। उनकी स्मृति में कई स्मारक और सम्मान स्थापित किए गए, जो उनकी विरासत को जीवित रखते हैं।
निष्कर्ष
मेजर संदीप उन्नीकृष्णन का जीवन और बलिदान भारतीय सैन्य इतिहास में एक प्रेरणादायक अध्याय है। उनकी वीरता और समर्पण ने उन्हें राष्ट्रीय नायक के रूप में स्थापित किया, और उनकी कहानी आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।
Tabular form – Popular people birth on 15th March
नाम | जन्म वर्ष | जन्म स्थान | प्रसिद्धि | क्षेत्र |
---|---|---|---|---|
आलिया भट्ट | 15 मार्च 1993 | मुंबई, भारत | बॉलीवुड अभिनेत्री | मनोरंजन |
यो यो हनी सिंह | 15 मार्च 1983 | जालंधर, भारत | रैपर, संगीत निर्माता, गायक | मनोरंजन |
अभय देओल | 15 मार्च 1976 | मुंबई, भारत | अभिनेता, निर्माता | मनोरंजन |
जिशु सेनगुप्ता | 15 मार्च 1977 | कोलकाता, पश्चिम बंगाल, भारत | अभिनेता | मनोरंजन |
उदय कोटक | 15 मार्च 1959 | मुंबई, भारत | बैंकर, उद्यमी | वित्त |
रंगनाथन फ्रांसिस | 15 मार्च 1920 | रंगून, ब्रिटिश भारत (अब यांगून) | फील्ड हॉकी खिलाड़ी | खेल |
मेजर संदीप उन्नीकृष्णन | 15 मार्च 1977 | कोझिकोड, केरल, भारत | भारतीय सेना अधिकारी, अशोक चक्र प्राप्तकर्ता | सेना |
कांशी राम | 15 मार्च 1934 | रूपनगर जिला, पंजाब, भारत | राजनीतिज्ञ, बीएसपी संस्थापक | राजनीति |
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